Chhattisgarh

जशपुर ‘जनसंपर्क कांड’ की गूंज दिल्ली तक: सच दिखाने पर पत्रकार को बिना कोर्ट के घोषित किया ‘अपराधी’, 1 करोड़ के नोटिस के बाद अब PMO ने लिया संज्ञान..

जशपुर ‘जनसंपर्क कांड’ की गूंज दिल्ली तक: सच दिखाने पर पत्रकार को बिना कोर्ट के घोषित किया ‘अपराधी’, 1 करोड़ के नोटिस के बाद अब PMO ने लिया संज्ञान…रायगढ़/जशपुर/नई दिल्ली। विशेष रिपोर्ट :*छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में एक अधिकारी के अहंकार और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के बीच की लड़ाई अब प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) तक पहुँच चुकी है। जनसंपर्क विभाग की सहायक संचालक नूतन सिदार द्वारा अपने पद का दुरुपयोग कर एक पत्रकार को डराने, उसे बिना अदालती कार्यवाही के लिखित में ‘अपराधी’ घोषित करने और 1 करोड़ रुपये का नोटिस भेजने का मामला अब तूल पकड़ चुका है। आत्महत्या की कोशिश और ‘गुलामी’ का सच उजागर करने की सजा : विवाद की जड़ एक पीड़ित कर्मचारी की व्यथा है। जनसंपर्क विभाग के अंशकालीन कर्मचारी रविन्द्रनाथ राम ने आरोप लगाया कि उसे 2012 से मात्र 4,600 रुपये वेतन मिलता है, लेकिन अधिकारी नूतन सिदार उससे झाड़ू-पोछा, बर्तन मंज़वाना, और निजी काम करवाती थीं। प्रताड़ना से तंग आकर रविन्द्रनाथ ने 13 अगस्त 2025 को कीटनाशक पीकर आत्महत्या का प्रयास किया।स्वतंत्र पत्रकार ऋषिकेश मिश्रा ने जब इस “विभागीय शोषण” और “फर्जी नियुक्ति (अजय सिदार के नाम पर वेतन आहरण)” के भ्रष्टाचार को उजागर किया, तो अधिकारी बौखला गईं। अधिकारी बनी जज : पत्रकार को लिखित में घोषित किया ‘अपराधी’ – पत्रकारिता का गला घोंटने के लिए नूतन सिदार ने 2 सितंबर 2025 को पुलिस को दिए आवेदन में ऋषिकेश मिश्रा को दो बार ‘अपराधी’ (Criminal) कहकर संबोधित किया। बड़ा सवाल : भारत के संविधान में किसी को अपराधी घोषित करने का हक सिर्फ न्यायालय को है। क्या एक जनसंपर्क अधिकारी अब जज बन गई हैं? इतना ही नहीं, अधिकारी ने यह अपमानजनक पत्र कलेक्टर के ऑफिशियल व्हाट्सएप ग्रुप में वायरल कर दिया, जिससे पत्रकार की सामाजिक प्रतिष्ठा धूमिल हुई। ‘VIP डाक सेवा’: रात के अंधेरे में खुला पोस्ट ऑफिस – सिस्टम का दुरुपयोग किस हद तक हो सकता है, इसका नमूना रायगढ़ डाकघर में दिखा। नूतन सिदार के लिए रात 8:25 बजे (20:25) डाकघर खोलकर पुलिस अधीक्षक और थानेदार को शिकायत भेजी गई। आम आदमी के लिए 5 बजे बंद होने वाला डाकघर, अधिकारी के निजी खुन्नस के लिए रात में कैसे खुला? 1 करोड़ का मानहानि नोटिस और पत्रकार का पलटवार : पत्रकार को चुप कराने के लिए नूतन सिदार ने अपने वकील के माध्यम से 1 करोड़ रुपये का मानहानि नोटिस भेजा और आत्महत्या के झूठे केस में फंसाने की धमकी दी।इसके जवाब में पत्रकार ऋषिकेश मिश्रा ने ईंट का जवाब पत्थर से देते हुए अधिकारी को लीगल नोटिस का जवाब भेजा और उल्टे 50 लाख रुपये हर्जाने की मांग करते हुए 15 दिन में माफी मांगने को कहा। पुलिस और प्रशासन की संदिग्ध चुप्पी : पत्रकार ने जब आरटीआई (RTI) के तहत दस्तावेजों की मांग की, तो लैलूंगा थाना और रायगढ़ पुलिस जानकारी दबाती रही। डीएसपी (DSP) कार्यालय को अंततः लिखना पड़ा कि थाना जानकारी नहीं दे रहा है, जिससे एसडीओपी (SDOP) की भूमिका पर भी सवाल उठे। क्या पुलिस प्रशासन एक अधिकारी को बचाने के लिए आरटीआई कानून की धज्जियां उड़ा रहा था?…अब PMO करेगा फैसला: शिकायत ‘Under Process’ :स्थानीय प्रशासन और कलेक्टर की चुप्पी के बाद, ऋषिकेश मिश्रा ने 6 दिसंबर 2025 को प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में शिकायत दर्ज कराई।ताजा स्टेटस के अनुसार, शिकायत (पंजीकरण संख्या: PMOPG/D/2025/0229404) स्वीकार कर ली गई है और 12/12/2025 तक इसे कार्यवाही के लिए प्रोसेस में डाल दिया गया है। पत्रकार ने मांग की है कि : बिना दोष सिद्ध हुए ‘अपराधी’ कहने पर अधिकारी पर FIR दर्ज हो। सिविल सेवा आचरण नियम के उल्लंघन पर उन्हें बर्खास्त किया जाए। यह मामला अब सिर्फ एक अधिकारी और पत्रकार का नहीं, बल्कि अभिव्यक्ति की आज़ादी बनाम अफसरशाही के अहंकार का है। जिस “जनसंपर्क” विभाग का काम सरकार की छवि बनाना है, उसी की अधिकारी ने अपनी हरकतों से सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। अब देखना है कि क्या पीएमओ (PMO) और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय अपने गृह जिले में हो रहे इस “लोकतंत्र के चीरहरण” पर क्या कार्रवाई करते हैं?

Khilawan Prasad Dwivedi

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