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दुनियाभर के लिए रोडमैप बन सकता है ‘प्रगति’ का मोदी मॉडल, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने दिया सुझाव

भारत को 2047 तक विकसित भारत बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विकास का जो मॉडल अपनाया है, वह विश्व के अन्य विकासशील देशों के नेताओं के लिए भी रोडमैप बन सकता है। इंग्लैंड के प्रतिष्ठित ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और गेट्स फाउंडेशन के अध्ययन में दावा किया गया है कि पीएम मोदी ने बड़ी विकास परियोजनाओं की निगरानी के लिए जो डिजिटल प्लेटफार्म प्रोएक्टिव गवर्नेंस एंड टाइमली इम्प्लीमेंटेशन (प्रगति) को अपनाया है, उससे न सिर्फ दशकों से लटके बड़े प्रोजेक्ट पूरे हुए, बल्कि नेतृत्व के इस तौर-तरीके से प्रधानमंत्री ने कार्य संस्कृति को बदलते हुए विश्व के नेताओं को एक दिशा दिखाई है।

”फ्रॉम ग्रिडलाक टू ग्रोथ”” शीर्षक से प्रकाशित इस रिपोर्ट में केस स्टडी के तौर पर 17.05 लाख करोड़ रुपये लागत के उन 340 प्रोजेक्ट को शामिल किया गया है। इनकी प्रगति की नियमित समीक्षा प्रगति प्लेटफार्म और सतत बैठकों के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी ने की। इनमें से कई ऐसे प्रोजेक्ट थे, जो कि दशकों से लटके हुए थे।

दरसअल, गुजरात में भूकंप के बाद वहां विकास को गति देने के लिए मुख्यमंत्री के रूप में मोदी ने स्वागत नाम से जो पहल वहां की थी, उसे ही प्रधानमंत्री बनने के बाद राष्ट्रीय स्तर पर प्रगति नाम से 2015 में शुरू किया। इसके जरिये प्रोजेक्ट की रीयल टाइम मॉनिटरिंग की जाती है। इसकी बैठक हर महीने होती है। प्रधानमंत्री खुद इस बैठक की अध्यक्षता करते हैं। बैठक में किन-किन प्रोजेक्ट पर चर्चा होगी, ये पहले से तय होता है।

संबंधित अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये प्रगति का ब्योरा रखते हैं। पीएम मोदी समीक्षा करने के बाद दिशा-निर्देश देते हैं। प्रगति के माध्यम से समयबद्ध पूरी हुई परियोजनाओं में असम के बोगीबील पुल, जम्मू-ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक, बेंगलुरु मेट्रो रेल प्रोजेक्ट, ओडिशा का हरिदासपुर-पारादीप रेल कनेक्शन आदि का उदाहरण दिया गया है। साथ ही अध्ययनकर्ताओं ने दावा किया है कि पीएम मोदी ने वित्त वर्ष 2014-15 के बजट में रखे गए 11.8 प्रतिशत पूंजीगत व्यय को जिस तरह से बढ़ाकर 2023-24 तक 22.2 प्रतिशत पर पहुंचाया है, उसका न सिर्फ जीडीपी पर असर हुआ है, बल्कि सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

  • विकसित भारत के लक्ष्य को पूरा करने के लिए आवश्यक इन्फ्रा परियोजनाओं में क्रांतिकारी बदलाव आया।
  • सरकार में शीर्ष नेतृत्व की सक्रियता का असर पड़ा और ग्राउंड जीरो तक टीम वर्क दिखाई दिया।
  • समस्याओं की सतत निगरानी होने के चलते उनका समाधान भी लगातार होता गया।-
  • प्रगति के साथ कई डिजिटल प्लेटफार्म को जोड़ने से डिजिटल गवर्नेंस इकोसिस्टम तैयार हुआ।
  • प्रगति का असर सामाजिक क्षेत्र की परियोजनाओं पर भी पड़ा, जिससे आमजन को गुणवत्तायुक्त जीवन का अवसर मिला।
  • केंद्र सरकार और प्रदेश सरकारों के बीच बेहतर तालमेल स्थापित होने से परियोजनाओं में होने वाला बेवजह का विलंब खत्म हुआ।
  • भारत अब विश्व को डिजिटल गवर्नेंस का पाठ पढ़ाने की स्थिति में दिखाई दे रहा है।

Khilawan Prasad Dwivedi

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